समकालीन परिदृश्य
साहित्य एवं सृजन सरोकारों का साझा उपक्रम
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Wednesday, June 14, 2023
हंसा दीप की कहानी : ‘उत्सर्जन’
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हंसा दीप ‘उत्सर्जन’ अपने पापा को जब-जब मैंने जानने-पहचानने की कोशिश की , तब-तब उनसे खुद को और ज्यादा दूर होते पाया। इतनी दूर , जहाँ तक कभ...
Thursday, March 10, 2022
असहमतियों के विरुद्ध प्रेम और मानवीय संवेदनाओं की कविताएँ – प्रतिभा चौहान
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(चित्र : मिठाई लाल जी की फेसबुक वॉल से साभार) मनुष्य सजीव और संवेदनशील है, और यह संवेदनशीलता ही कविताओं की रचना की ...
Saturday, January 29, 2022
प्रेम प्रेम तो सब कहे... (प्रेम में पड़े रहना – रंजीता सिंह फलक, की समीक्षा) – प्रो. भरत प्रसाद (समीक्षक)
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“खुसरो दरिया प्रेम का , बाकी ऐसी धार , जो उबरा सो डूब गया । जो डूबा सो पार ।” मध्यकालीन महाकवि के हृदय से उठी यह पुकार आज भी प्रेमभक्तों क...
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Sunday, January 23, 2022
बुंदेलखंड में अस्मिता के संकटों से जूझते सौंर आदिवासी :- डॉ. राजेन्द्र यादव
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डॉ. राजेन्द्र यादव मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के राजनैतिक धरातल पर विभाजित बृहद बुंदेलखंड की सबसे प्राचीन आदिवासी ‘सौंर’ आज इक्कीसवीं सदी क...
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